December 13, 2025
death penalty

Death Punishment ( फाँसी की सजा )

Legal Knowledge
       
 
 
    

फाँसी की सजा की सजा भारत मे सबसे बड़ा पनिश्मेन्ट है, जिसे हम कैपिटल पनिश्मेन्ट कहते है | फाँसी की सजा बहुत सारे मामलों मे दी जाती है जैसे –  हत्या (murder), बलात्कार (rape) , भारत सरकार की खिलाफ  युद्ध करना (war against Government of India) ऐसे बहुत सारे सेक्शन है जो भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code ) मे उल्लेखित है जो फाँसी के लिए प्रावधान करते है |लेकिन 1980 मे बच्चन सिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब राज्य मे सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कह दिया था की विरलय से विरलतम मामलों मे ही फाँसी की सजा दी जाएगी (In the Rarest of the Rare Case) | अब ये विरलय से विरलतम मामला क्या है इसे सुप्रीम कोर्ट ने 1983 मे माछी सिंह बनाम पंजाब राज्य मे बताया |

आजादी के बाद भारत मे फाँसी

आजादी के बाद अबतक 57 लोगों को फाँसी दी गई है एक आंकड़ा और है की 2004 से लेकर 2015 तक कुल 1300 से अधिक लोगों को फाँसी की सजा दी गई है | सुप्रीम कोर्ट ने भी फाँसी की सजा को कन्फर्म किया परंतु उन्मे से भी केवल 4 लोगों को ही फाँसी पर लटकाया गया | इसमे दो अलग – अलग स्तर होते है –

hanging
death punishment

1. फाँसी की सजा देना जहा सुप्रीम कोर्ट दंड पारित करता है ( Sentence Confirmed By Supreme Court ) .

2. व्यक्ति को फाँसी पर लटकाना ( Execution of Death Sentence in India ) ये काम गवर्नमेंट का होता है |

आजाद भारत मे अब तक केवल 57 लोगों को फाँसी दी गई है और अगर हम पिछले 10 साल की बात करे तो भारत मे 1303 लोगों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है परंतु इनमे से चार लोगों को ही फाँसी पर लटकाया गया है |

इनमे से व्यक्ति है – धनंजय चटर्जी  साल  2004 , अजमल कसाब  साल  2012 , अफजल गुरु साल 2013 , याकूब मेमोन साल 2015 है  |

इसके साथ ही दिल्ली की सड़कों पर करीब सात साल पहले निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले चारों दोषियों को फांसी साल 2020 मे  दे दी गई है |

किस राज्य मे कितनी फाँसी  की सजा सुनाई गई है

भारत मे अगर राज्य वॉर आंकड़ों को हम देखे तो सबसे ज्यादा  फाँसी की सजा उत्तर प्रदेश मे सुनाई गई है , उत्तर प्रदेश मे कुल 395 लोगों को फाँसी दी गई है परंतु अभी तक इनमे से किसी भी व्यक्ति को फाँसी पर नहीं लटकाया गया है | इस सूची मे दूसरे स्थान पर बिहार राज्य है जहा अब तक 144 लोगों को फासी की सजा सुनाई है , वही महाराष्ट्र मे 129 तथा तमिलनाडु  मे 106 व कर्नाटक मे 103 लोगों को फाँसी की सजा सुनाई गई है |

फाँसी की सजा काम करने या माफ करने का प्रावधान

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 433 व 433 ( क )  मे फाँसी की सजा को कम करने का प्रावधान है ये केंद्र सरकार व राज्य सरकार को है इसमे कम सजा व फाँसी की सजा को माफ करना है | वही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को भी फाँसी की सजा माफ करने का अधिकार है | तो वर्तमान समय मे फाँसी की सजा पर चर्चा इसलिए हो रही है की लोग कुरुत्तम अपराधों मे फाँसी की मांग कर रहे है |

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उसका कारण यह है की इससे किसी दुसरे व्यक्ति को सजा न सुनाई जा सके क्योंकि किसी के प्राण ले लेना अपने आप मे गलत माना जाता है परन्तु ये विधायी  प्रक्रिया है और कानून मे इसके लिए प्रावधान है तो इसे देना भी आवश्यक  है |

अगर कोई सत्र न्यायालय फाँसी की सजा सुनती है तो उसे उच्च न्यायालय मे कन्फर्म पिटिशन भेजा जाता है और अगर उच्च न्यायालय ने कन्फर्म कर दिया है तो उस व्यक्ति के पास अपील के अधिकार होते है , तो  वह  उच्च न्यायालय मे ही अपील कर सकता है अगर अपील मे भी उच्च न्यायालय ने फाँसी की सजा बरकरार रखा तो वह इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट मे अपील कर सकता है और फिर भी फाँसी की सजा बरकरार रखा है तो फिर वह रिव्यू पिटिशन कर सकता है और अगर इसमे भी फाँसी की सजा बरकरार है तो इसके बाद वह क्युरटिव पिटिशन कर सकता है और इसमे भी फाँसी की सजा बरकरार है तब उस व्यक्ति को फाँसी दी जाएगी,  तो इतनी लंबी प्रक्रिया है फांसी की सजा मे | इसके बाद ही किसी भी व्यक्ति को फाँसी सुनाई जाती है | फाँसी की सजा देने का काम सरकार का है सरकार उसके लिए तैयारिया है |

फाँसी की रस्सी कहा बनाई जाती है ?

बिहार के बक्सर जेल मे फाँसी की रस्सी बनाई जाती है और इससे पहले किसी व्यक्ति को फाँसी पर लटकाया जाए इस की रीहर्सल की जाती है ताकि इसमे कोई चूक ना हो जाए | जिस भी व्यक्ति को फाँसी दी जाती है उस व्यक्ति से उसकी अंतिम इच्छा पूछी जाती है जिस दिन उसे सुबह के समय फाँसी दी जानी होती है |

सजा सूर्योदय के पहले ही दी जाती है इसका कारण यह है की सूर्योदय के बाद जेल के सारे काम शुरू होते है और अंतिम संस्कार के लिए उसके परिवार के पास दिन भर का समय रहे | ये  नियम जेल मैनुअल के अनुसार काम करता है |

जो फाँसी पर चढ़ाता  है उसे हम जल्लाद के नाम से जानते है और इसका पद भारत मे पुश्तैनी रूप से मिल रहा है | अभी पूरे भारत मे दो ही जल्लाद है जो इस पद पर काम कर रहे है | जल्लाद फाँसी पर चढ़ाने से पहले जिस व्यक्ति को फाँसी देनी होती है उसके कान मे कहता है की – 

मुझे माफ कर देना तुम्हें मै मौत के घाट उतार रहा हु और ये मेरा काम है, मै सरकारी मुलाजिम हु और ए करना मेरा कर्तव्य है |

अगर व्यक्ति हिन्दू है तो वह अंतिम राम – राम  कहता है और मुस्लिम है तो अंतिम सलाम कहता है  |

कान मे यह बात कहने के बाद ही उस व्यक्ति को फाँसी पर चढ़ाया जाता है |

Definition of Murder ( Section 300) Indian Penal Code

(Section – 302)


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