October 28, 2025
(PIL) पीआईएल जनहित याचिका

Public Interest Litigation (PIL) पीआईएल जनहित याचिका

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(PIL) पीआईएल जनहित याचिका
(PIL) पीआईएल जनहित याचिका

(PIL) पीआईएल जनहित याचिका ( जहिया ) :- जनहित याचिका भारतीय कानून में सार्वजनिक हित की रक्षा करने के लिए मुकदमा का प्रावधान है।
अन्य सामान्य अदालती याचिकाओं से अलग इसमें यह आवश्यक नहीं है कि पीड़ित पक्ष स्वयं अदालत जाए। यह किसी भी नागरिक या स्वयं न्यायालय द्वारा पीड़ितों के पक्ष में दायर किया जा सकता है।पीआईएल मामलों में लोगों को अब तक बहुत ही व्यापक क्षेत्रों में राहत मिली है।
जैसे- कारागार बंदी क्षेत्र , सीमा बल , बंधुआ मजदूरी,शहरी विकास ,पर्यावरण संसाधन, उपभोक्ता मामले, शिक्षा ,राजनीति , चुनाव ,लोक नीति , मानवाधिकार ऐसे कई क्षेत्र है | जिससे सम्बंधित जजमेंट आए हैं ,जिससे समाज में व्यापक परिवर्तन आया है। न्यायिक सक्रियता और पीआईल का विस्तार बहुत हद समान रूप से देश में हुआ है। जनहित याचिका का मध्यमवर्ग ने समानतह् स्वागत किया है और इसका मध्यम एवं कमजोर वर्ग ने समर्थन भी किया है।

नोट:- जनहित याचिका किसी भी कानून या संविधान में परिभाषित नहीं है।
यह सर्वोच्च न्यायालय के संविधान की व्याख्या से उत्पन्न हुआ है | इसकी उत्पत्ति का श्रेय सर्वोच्च न्यायालय को जाता है ।

इसका कोई अंतरराष्ट्रीय समतुल्य भी नहीं है और इसे एक विविध भारतीय अवधारणा के रूप में ही देखा जाता है | भारत में जनहित याचिका के जनक पी एन भागवती माने जाते हैं |क्योंकि उन्होंने जनहित याचिकाओं की स्वीकृति हेतु बहुत सारे नियम बनाए थे|

  1. लोकहित से प्रेरित कोई भी व्यक्ति या संगठन इन्हें ला सकता है|
  2. कोर्ट को दिया गया पोस्टकार्ड भी याचिका मान कर स्वीकार किया जा सकता है |
  3. कोर्ट को अधिकार होगा कि वह इस याचिका हेतु सामान्य न्यायालय शुल्क भी माफ कर दे|
  4. जनहित याचिका राज्य के साथ ही निजी संस्थान के विरुद्ध भी लाई जा सकती है |

(PIL) पीआईएल जनहित याचिका के लाभ :-

इस तरह की याचिका से जनता में स्वंम् के अधिकारों तथा न्यायपालिका की भूमिका के बारे में चेतना बढ़ती है | यह मौलिक अधिकारों के क्षेत्र को विस्तृत करता है, जिससे व्यक्ति को नए-नए अधिकार मिलते हैं | ऐसी याचिकाए कार्यपालिका व विधायिका को संवैधानिक कर्तव्य करने के लिए बाधित करती है, साथ ही भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है |

(PIL) पीआईएल जनहित याचिका को कौन दायर कर सकता है? :-

कोई भी भारतीय नागरिक जनहित याचिका दायर कर सकता है | किन्तु इसे निजी हित के बजाय सर्वाजनिक हित के लिए दायर किया जाना चाहिए | यदि कोई मुद्दा अत्यंत सर्वाजनिक महत्व का है तो कोई भी न्यायालय ऐसे मामले को स्वतः संज्ञान ले सकता है या कोई भी व्यक्ति ऐसे मामलों को न्यायालय मे उठा सकता है |

याचिका किस न्यायालय मे दायर कर सकते है ? :-

जनहित याचिका केवल हाईकोर्ट में संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत और सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत दायर की जा सकती है।

याचिका दायर करने की प्रक्रिया :-

तो जनहित याचिका दायर करने से पहले याचिकाकर्ता को सम्बंधित मामले की पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए | यदि जनहित याचिका कई व्यक्तियों से या किसी समूह या किसी समुदाय से सम्बंधित है तो याचिककर्ता को उन सभी लोगों से परामर्श कर लेनी चाहिए | जब एक बार जनहित याचिका दायर करने का निर्णय ले लिया जाये , तो उसे अपने केस को मजबूत करने के सारे दस्तावेज इकट्ठा कर लेना चाहिए और सारे दस्तावेजो की प्रतिलिपि याचिका के साथ संलग्न कर देना चाहिए | जनहित याचिका को लेटर के द्वारा भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जा सकता है |

अगर अदालत को लगता है कि ये जनहित से जुड़ा मामला है तो लेटर को ही पीआईएल के तौर पर लिया जाता है और सुनवाई होती है। याचिका में बताया जाना जरूरी है कि मामला कैसे जनहित से जुड़ा है। अगर कोई सबूत है तो उसकी कॉपी भी लेटर के साथ लगा सकते हैं। लेटर जनहित याचिका में तब्दील होने के बाद संबंधित पक्षों को नोटिस जारी होता है और याचिकाकर्ता को भी कोर्ट में पेश होने के लिए कहा जाता है। अगर याचिकाकर्ता के पास वकील न हो तो उसे कोर्ट वकील मुहैया कराती है। हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के नाम भी लेटर लिखा जा सकता है।

दूसरा तरीका ये है कि वकील के जरिए जनहित याचिका दायर की जा सकती है। वकील याचिका तैयार करने में मदद करता है। याचिका में प्रतिवादी कौन होगा और किस तरह उसे ड्रॉफ्ट किया जाएगा, इन बातों के लिए वकील की मदद जरूरी है। पीआईएल दायर करने के लिए कोई फीस नहीं लगती। इसे सीधे काउंटर पर जाकर जमा करना होता है। लेकिन, जिस वकील से इसके लिए सलाह ली जाती है, उसकी फीस देनी होती है। पीआईएल ऑनलाइन दायर नहीं की जा सकती। हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनहित याचिका को स्वीकार करने की औसत दर 30 – 60 प्रतिशत है |

आमतौर पर उन ही जनहित याचिका को ही स्वीकार किया जाता है जिनमे वर्णित तथ्यों से न्यायाधीश सहमत होते है और उन्हे ये भी लगता है की ये विषय बहुत महत्व का है और जनता के हित मे इसे सुना ही जाना चाहिए

https://www.lawofselfdefend.com/2020/08/20/contempt-of-court-

https://www.lawofselfdefend.com/2020/08/22/narco-test-

|https://www.lawofselfdefend.com/2020/08/27/section-375-in-indian-penal-code-1860/


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