आप सभी को पता है की की विश्व इस समय कोरोना जैसे गंभीर महामारी से जूझ रहा है | जिससे हमारा देश भारत भी अछूता नहीं है तो भारत सरकार इस बीमारी से लड़ने के लिए कौन कौन से कानून का प्रयोग कर रही है आप सबको को पता होना चाहिए |
तो आजादी के लगभग 50 वर्ष पहले अंग्रेजी सरकार एक कानून लेकर आई थी जिस का नाम था The Epidemic Diseases Act 1897 ( महामारी अधिनियम 1897) उस समय भारत के बंबई राज्य मे प्लग जैसी महामारी फैली हुई थी और उसका आतंक था | जिस महामारी को रोकने के लिए अंग्रेजी शासन The Epidemic Diseases Act लेकर आई थी | हालाकी इतिहास के पन्नों को उलट कर देखने से कुछ और ही मालूम चलता है पता चलता है की इस अधिनियम का लगातार दुरुपयोग हुआ और इस दुरुपयोग के सबसे बड़े उदाहरण हमारे सामने लोकमान्य बाल गंगा धर तिलक जी थे | जिसे अंग्रेजों ने इस अधिनियम के तहत सजा दी थी इस कानून के तहत सरकार को सशक्त किया गया था की भीड़ को एक सीमित समय से ज्यादा एकत्रित नहीं होने देना है और भीड़ को इकट्ठा होने से रोकना है | बिना सरकारी वॉरन्ट के किसी भी अस्थान पर लोगों की तलासी लेना एवं कि अन्य प्रकार के असीमित शक्तियों से सरकार ने रोक थाम लगा दी थी |
स्वतंत्रता आंदोलन मे उठती हुई आवाजों को दबाने के लिए यह अधिनियम अंग्रेजों के लिए एक हथियार की तरह साबित हुआ था | देश मे प्राकृतिक , जैविक एवं विभिन्न तरह की आपदाओ से निपटने के लिए कोई भी सार्थक कानून मौजूद नहीं है |
सरकार को यह समझने के लिए लगभग 60 वर्ष का समय लग गया ,सुनामी भूकंप ,चक्रवात ये सभी थोड़े- थोड़े अंतराल के बाद आते रहे है और इसके द्वारा छोटी – बढ़ी तबाही होती रही है फिर 2005 मे सरकार National Disaster Management Act लेकर आई जो दिसम्बर 2005 मे लागू हुआ यह एक राष्ट्रीय कानून है जिसको केन्द्रीय सरकार लागू करती है ताकि किसी भी राष्ट्रीय आपदा से निपटने के लिए सरकार एक देश व्यापी योजना बना सके | इस अधिनियम के दूसरे भाग के तहत ही National Disaster Authority के गठन का प्रावधान है और इस Authority के Chairman भारत के प्रधानमंत्री होते है | यह कानून आया इसकी प्रशंसा की गई और माना गया की भविष्य मे जितनी भी आपदा आएगी उस से निपटने के लिए एक कारगर कानून होगा |
हालाकी 2013 मे तब केदारनाथ मे जो आपदा आई थी उसमे बहुत ज्यादा नुकसान हुआ और इसके बाद सरकार के बचाव कार्य की असमर्थता ने इस बात पर लोगों को मजबूर किया की कानून चाहे जितनी भी अच्छी हो परंतु राजनैतिक इच्छा-शक्ति बहुत जरूरी है की जो कानून है उसका समस्थ रूप से उपयोग किया जाए | 2017 मे सरकार Bio Terrorism Bill भी लेकर आई लेकिन अभी तक यह बिल पारित नहीं हुआ है | Bio Terrorism Bill किसी भी तरह के Biological Weapons और Bio- Terrorism को कुचलने के लिए एक सशक्त कानून हो सकता है परंतु यह अभी पारित ही नहीं हुआ है |
The Epidemic Diseases Act 1897 का Section 2(a) कहता है की जब राज्य सरकार को किसी भी समय येसा लगता है की उसके राज्य के किसी भाग मे खतरनाक बीमारी फैल रही है या फैलने की आशंका है तब राज्य सरकार इसे रोकने कें लिए The Epidemic Diseases Act का प्रयोग कर सकती है इसके अलावा और अन्य उचित उपाय भी कर सकती है इन उपायों को सरकार को सार्वजनिक सूचनाओ के जरिए लगातार बताना होगा जिससे रोग के प्रकोप और प्रसार को रोक जा सके | इसी अधिनियम के Section 2(b) मे लिखा हुआ है की राज्य सरकार को यह भी अधिकार है की वह रेल ,बस ,बंदरगाह ,हवाई सेवा या किसी अन्य प्रकार से यात्रा करने वाले लोगों को जिसके बारे मे संका हो या बीमारी से ग्रसित हो या उनके द्वारा महामारी फैल सकती है तो उन्हे किसी अस्पताल या अस्थाई स्थान पर रख सकती है और कोई संदिग्ध संकर्मित व्यक्ति है तो उसकी जांच ,निरिक्षण भी कर सकती है ये सब अधिकार राज्य को दिया गया है |
The Epidemic Diseases Act 1897 की Section 2(c ) कहती है जब केन्द्रीय सरकार को जब ये लगे की भारत के उसके अधिकार के अधीन किसी भी भाग मे महामारी फैल चुकी है या महामारी फैलने की आशंका है और ये जो कानून The Epidemic Diseases Act या जो अन्य कानून है जो महामारी को रोकने के लिए संक्षम नहीं है तो ऐसे मे सरकार कुछ कड़े कदम उठा सकती है और अन्य नियम भी बना सकती है | जिस मे यह भी शामील होगा की किसी सम्भावित से क्षेत्र से आने वाले व्यक्ति को किसी दुसरे क्षेत्र मे जाने से रोक सकते है |
इस अधिनियम की धारा ( 3 ) कहती है महामारी के संबंध मे सरकारी आदेश को नहीं मानने वाले एक प्रकार का अपराध करेंगे और जो भी इसका पालन नहीं करेगा तो यह एक प्रकार का अपराध होगा और इस अपराध के लिए Indian Penal Code के Section 188 के तहत सजा दी जाएगी |
तो जो अभी समय चल रहा है वो एक महामारी का समय है और हम सब को मिलकर सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए और कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से बचना चाहिए |
धन्यवाद
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